तिथि और शुभ मुहूर्त
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राखी समारोह: 9 अगस्त 2025 (शनिवार)
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पौर्णिमा तिथि: 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे से 9 अगस्त 1:24 PM तक
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राखी बांधने का शुभ समय (मुहूर्त): सुबह 5:47 AM से दोपहर 1:24 PM तक
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एक अन्य स्रोत मुहूर्त को 5:21 AM से 1:24 PM बताता है, लेकिन प्रचलित ज्योतिष मान्यता अनुसार 5:47 AM–1:24 PM को ही मान्यता दी जाती है
✨ महत्व एवं पारंपरिक रीतियाँ
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यह त्योहार भाई-बहन के रक्षा, प्रेम और कर्तव्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती है; भाई संरक्षण का वचन देते हुए उसे उपहार या पैसे देते हैं
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पौराणिक कथा में द्रौपदी द्वारा कृष्ण को साड़ी का टुकड़ा बाँधने की घटना को राखी की उत्पत्ति माना जाता है
🔮 ज्योतिष फल और विशेष योग
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इस वर्ष Saubhagya Yog और Sarvartha Siddhi Yog नामक दुर्लभ योग कार्यरत हैं, जिससे त्योहार के दौरान किये गये कर्म विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं
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साथ ही कुछ ज्योतिषीय लेखों में ब्रह्मगोरचरसंबंधी ग्रह गोचर की वजह से राशि‑विशेष में शुभ फल दिखाये गये हैं; जैसे मिथुन, सिंह, कन्या आदि राशि वालों को सफलता‑वृद्धि, आय‑वृद्धि के योग हैं
🎨 तैयारी और उत्सव
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राखी डिजाइन: 2025 में ट्रेंड में निजीकरण वाले रथी, सिल्क क्रोशिया डिजाइन्स, और आध्यात्मिक रूपांकनों वाली राखियाँ हैं
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मेहंदी: फूल, मन्दल, रक्षक रूपांकन वाले आधुनिक राखी‑थीम आधारित डिजाइन लोकप्रिय हैं
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संदेश और शुभकामनाएँ: विशेष रूप से दूर रहने वाले भाई‑बहनों के लिए इमोटिव व्हाट्सएप मैसेजेस, स्टेटस और कार्ड संदेश दिए जा रहे हैं
🧭 क्षेत्रीय उत्सव विविधता
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उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली आदी): थाली में रोली, चावल, दीया और मिठाई एवं आरती‑तिलक के बाद राखी बांधना। भाई बहन के बीच उपहार और भोजन का आदान-प्रदान
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पश्चिम भारत (महाराष्ट्र, गुजरात): कोली समुदाय समुद्र को नारियल अर्पण करता है (Narali Purnima) साथ में राखी बांधते हैं। गुजरात में मंदिरों में राखी पूजा भी होती है
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पूर्व भारत (बंगाल, ओडिशा): बंगाल में ‘झूलन पूर्णिमा’ के अवसर पर राधा–कृष्ण की पूजा और राखी अनुकरण किया जाता है; ओडिशा में गायों को भी राखी बांधते हैं (‘Gamha Purnima’